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			| शब्द का अर्थ |  
				| प्रेरणार्थक क्रिया					 : | स्त्री० [सं० कर्म० स०] व्याकरण में, क्रिया का वह रूप जिसमें क्रिया के व्यापार के संबंध में यह सूचित होता है कि यह क्रिया स्वयं नहीं की जा रही है बल्कि किसी दूसरे को प्रेरित करके या किसी दूसरे से कराई जा रही है। जैसे—खाना से खिलाना, चलना से चलाना। भागना से भगाना आदि बननेवाले रूप प्रेरणार्थक क्रिया कहलाते हैं। |  
				|  | समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं |  |